घीसा से घीसाराम

एक दिन विद्यालय की छुट्टी होने पर कुछ बालकों ने घीसा को चिढ़ाने की दृष्टि से ''घीसा-घीसा-घिसिया...`` ऊंचें स्वर में राग अलाप किया।
घीसा चिढ़ा।
विद्यालय पोळ के स्वामी चौधरी गोरूराम जाट वहीं खड़े थे; उन्होंने शरारती बालकों को डांटा और कहा कि यह 'घीसा` नहीं है, यह 'घासी` है।
गुरुजी मनीराम जी ने इसें और अंलकृत कर 'घासीराम` नाम कर दिया।

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