मैस महाराज की दरियादिली

विश्‍वविद्यालय में 'अदेयता प्रमाण पत्र` जमा करवाना जरूरी था। जिस पर मैस का बकाया न होने का प्रामाणीकरण मैस इंचार्ज के सामने मैस महाराज को करना था। घासीराम के पास देने के लिए कुछ नहीं था। उन्होंने मैस महाराज को वस्तुस्थिति बताई और गांव जाकर बकाया भेजने का आश्‍वासन दे हस्ताक्षर करने का निवेदन किया, क्योंकि 'अदेयता प्रमाण पत्र` के अभाव में डिग्री भी रोकी जा सकती थी। महाराज ने निर्मल व्यवहार व तरलता को समझा व हामी भरी। मगर मैस इंजार्च के आगे बात बिगड़ी और मैस महाराज ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। घासीराम के सामने संकट खड़ा हो गया।

घासीराम ने दुबारा महाराज को समझाया और उनके हस्ताक्षरों का अहसान करने का निवेदन किया। महाराज ने घासीराम के निवेदन में धोखा नहीं होने का संकेत पाया और वह दुबारा तैयार हो गया तथा मैस इंजार्च के पास जाकर हस्ताक्षर करके दरियादिली दिखाई।