बालक घासीराम आठवीं में पिलानी में अध्ययनरत था तब गांधीजी के नेतृत्व में देश में अंग्रेजो भारत छोड़ो की गुंज थी। घासीराम पर भी आसपास के माहौल का असर पड़ा। वह विद्यालय छोड़ घर आ गया।
दिन भर मन में क्रांति की ज्चाला धधकती और उस दिशा में जाने को मन बनता।
परंतु बाद में संस्कृत के अध्यापक गुलाबदत्त शर्मा के समझाने पर विद्यालय में विद्याध्ययन सुचारू रूप से पुन: शुरू हुआ।
दिन भर मन में क्रांति की ज्चाला धधकती और उस दिशा में जाने को मन बनता।
परंतु बाद में संस्कृत के अध्यापक गुलाबदत्त शर्मा के समझाने पर विद्यालय में विद्याध्ययन सुचारू रूप से पुन: शुरू हुआ।