संकटों का दौर

अप्रेल में फिर आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ जब नोटिस बोर्ड पर मार्च की फीस जमा कराने की सूचना के साथ नाम काटने की चेतावनी चस्पा हुई। घासीराम कहां से लाए पैसा ? आखिरकार भ्रमण हेतु दिए गए १०० रूपयों के बहाने पिलानी के मित्र गंगाप्रसाद शारदा याद आए। घासीराम ने गंगाप्रसाद को पत्र लिखा। शारदा की बदौलत एम.पी.बिड़ला का १०० रूपये का मनिऑर्डर आ गया। घासीराम खुशी से १०० रूपये लेकर रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे। क्लर्क ने कुल बकाया देखा। मार्च, अप्रेल व मई की फीस व विलम्ब शुल्क कुलमिलाकर १४५ बने। १०० रूपयों को क्लर्क ने जमा नहीं किया। जमा करे तो सारे १४५ रूपये। संकट फिर गहरा गया। ४५ रूपये पहाड़ बन गए।

यह दौर घासीराम के लिए संकटों का दौर था।