वाहिदपुरा में यह विद्यालय चौधरी गोरूराम जाट की बड़ी सारी पोळ में चलता था।
चिड़ावा (झुंझुनूं) के सेठ सूरजमल शिवप्रसाद जी दानी और समाजसेवी थे; वे ही अध्यापक पं. मनीराम जी को वेतन देते थे तथा मनीराम जी निरंतर शिक्षा की अलख जगाते थे।
विद्यालय का परिवेश बड़ा अपनापन लिये हुए था।
विद्यालय में न तो कोई विधिवत कक्षाएं थी और न ही कोई हाजरी रजिस्टर। बस अध्यापक मनीराम जी का मस्तिष्क ही सब कुछ रिकॉर्ड था।
चिड़ावा (झुंझुनूं) के सेठ सूरजमल शिवप्रसाद जी दानी और समाजसेवी थे; वे ही अध्यापक पं. मनीराम जी को वेतन देते थे तथा मनीराम जी निरंतर शिक्षा की अलख जगाते थे।
विद्यालय का परिवेश बड़ा अपनापन लिये हुए था।
विद्यालय में न तो कोई विधिवत कक्षाएं थी और न ही कोई हाजरी रजिस्टर। बस अध्यापक मनीराम जी का मस्तिष्क ही सब कुछ रिकॉर्ड था।