जनसेवा की प्रेरणा

डॉ. घासीराम वर्मा एक बार जब १९८२ में झुंझुनू आए तब देखा कि भरी दुपहरी में पढ़कर जाने वाली ग्रामीण लड़कियों की हालत खराब थी। तभी से उनके मन में आया कि छात्रावास बनाकर अगर इनके लिए आवास की व्यवस्था की जाए तो भला होगा। बस यहीं से दान की परम्परा शुरू हुई जो आज परवान पर पहुंच चुकी है और भारत विशेषकर राजस्थान में उनकी पहचान कायम कर चुकी है।
झुंझुनूं का महर्षि दयानंद बालिका छात्रावास (जिसमें ३०० से ज्यादा छात्राएं निवासित होकर अध्ययन करती हैं) व उससे सटा महर्षि दयानंद महिला विज्ञान महाविद्यालय डॉ. वर्मा की कहानी को स्वयंमेव उकेरते नजर आते हैं।