अतिरिक्त भार व परेशानी

घासीराम का पिलानी में छात्रावास का खर्चा साढ़े तीन या चार रूपये था। अढ़ाई रूपये छात्रवृत्ति के रूप में मिल गये, शेष रहे रूपयों की पूर्ति घरवालों के लिए बड़ा संकट थी। अकालों की मार और विपरीत परिस्थितियां। लेकिन चौधरी लादूराम ने हिम्मत नहीं हारी और घासीराम के संघर्षों की यात्रा में विराम नहीं आने दिया। जैसा कुछ बना सदैव अर्पण किया। वे पैदल ही सीगड़ी से पिलानी जाकर जो कुछ बनता घासीराम को सम्हला आते।
मगर यह घासीराम के लिए पूर्णता नहीं थी।