पुस्तक प्रेम

छुटि्टयों में गांव से मंडावा जाकर वहां के पुस्तकालय से पुस्तकें लाकर पढ़ना घासीराम का जुनून था। मंडावा पुस्तकालय से ही आगे चलकर उन्होंने प्रेमचंद के 'कर्मभूमि`, 'रंगभूमि` व 'गोदान` पढ़े। कहानी 'ईद` आज भी उनकी पसंद है। सस्ता साहित्य मंडल की ढेरों पुस्तकें पढ़ डाली। गांधी जी की जीवनी और 'नरमेध` पढ़ी गई रचनाओं में सबसे प्रभावित करने वाली रही। महादेवी वर्मा का रेखाचित्र 'घीसा` को तो भला वे कैसे भूल सकते हैं।
पढ़ने का वही जुनून आज भी कायम है।