कलकत्ता की ओर

अढ़ाई महिने की गर्मियों की छुटि्टयों में घासीराम कलकत्ता सेन साहब के निर्देशन में अधूरा कार्य पूरा करने का लक्ष्य लेकर पहुंचे। बगड़ के सेठ शिवभगवान जी की गद्दी पर घासीराम ने शरण ली। शिवभगवान का छोटा भाई गुलझारीलाल बगड़ में घासीराम से पढ़ चुका था।

इसी संघर्ष के बीच जादवपुर यूनिवर्सिटी जाकर प्रो. सेन का मार्गदर्शन लेते और काम की पूर्णता की ओर बढ़ने का प्रयास करते।

मित्रा साहब का उपकार : अगले सत्र में प्रिसिंपल मित्रा साहब ने घासीराम को २०० रूपये प्रतिमाह की केन्द्रीय छात्रवृत्ति स्वीकृत करवा दी।