घरवालों का रवैया

घरवाले एम.ए. करने बनारस जाने के वक्त से ही नाराज थे। यही हाल ससुराल का था। खैर ...। वापिस आकर नौकरी से कुछ आ वस्त हुए लेकिन फिर यह पढ़ाई। उनकी समझ से परे थी। उन्हें लगा कि घासीराम में कहीं दिमाग की कमी है तभी तो यह ऐसे गलत निर्णय बार-बार कर रहा है। पागल नहीं तो क्या है ? लोग दसवीं करते ही घरवालों की गरीबी दूर करने में लग जाते हैं जबकि एक यह है कि अभी भी संकटों को न्यौता दे रहा है। पी-एच.डी. से डॉक्टर बनेगा किसी ने बताया तो घरवालों का सीधा सा सवाल था कि डॉक्टर बनकर क्या इलाज करेगा ?