पैसा बना फिर संकट

घासीराम अमेरिका से जो पैसा लाए थे वो सारा घरवालों को दे चुके थे। अब क्या किया जाए ? इस बार अकेले नहीं बच्चों को साथ लेकर जाने की तय थी। एक खुद की, एक पत्नी की व दो बच्चों की आधी-आधी मिलाकर पूरी एक टिकट, कुल तीन टिकटों के पैसों का इंतजाम करना था। संयोग से 'एयर फ्रांस` के ट्रेवल्स एजेंट श्री यू.एस.जैन ने यह जाना तो वे डॉ. घासीराम के घर पहुंचे और उनकी एयर लाइन का टिकट खरीदने व भुगतान अमेरिका जाकर डॉलर में करने का प्रस्ताव दिया। घासीराम के घर गंगा चलकर आ गई। समस्या हल हो गई।

नियुक्ति पत्र के आधार पर अमेरिकन दूतावास से वीजा मिल गया और एयर फ्रांस से टिकटें ली।

पुन: अमेरिका रवाना : २ सितम्बर, १९६४ ई. को दिल्ली से डॉ. घासीराम अपने बच्चों व पत्नी के साथ अमेरिका की ओर उड़े। बीच में बच्चों को यूरोप दिखाया।