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घासीराम बने डॉ. घासीराम
दो साल के लगभग समय में घासीराम ने अपना शोध प्रबंध पूर्ण कर लिया। और संघर्ष के थपेड़े खाते-खाते दिसम्बर, १९५७ ई. में घासीराम आखिरकार डॉ. घासीराम बन गए।
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2009
(68)
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September
(68)
डॉ. घासीराम वर्मा - एक परिचय
जीवन यात्रा
जन्म
जन्म व लोकविश्वास
प्रारम्भिक शिक्षा
प्रारम्भिक विद्यालय का परिवेश
बालस्वभाव और विद्यालय
शिक्षा प्राप्ति के शुभ लक्षण
घीसा से घीसाराम
सपूत के पैर पालने ...
तोलियासर होते हुए पिलानी विद्याध्ययन
घर की खस्ता आर्थिक हालत
अतिरिक्त भार व परेशानी
आजादी की ललक
पुस्तक प्रेम
शिक्षा प्राप्ति ही ध्येय
विवाह
राजस्थानी लोकगीतों ने दी रोटी
'नणदोई` की उपाधि
स्नातक का सफर
छात्रवृत्ति के रूप मे वरदान
मित्रता का मोल
बेरोजगारी की मार
नौकरी की शुरूआत
शिष्य की सद्भावना :
संकटों का दौर
कर्नाटक के साथियों का अवदान
गुरुवर डॉ. बृजमोहन का दायित्व और संकट
मैस महाराज की दरियादिली
किराए का प्रबंध
वही पुरानी नौकरी
एक और उड़ान की तैयारी में
प्रो. पंत के रूप में देवदूत
पी-एच.डी.
घरवालों का रवैया
संकटों में सहारा
हड़ताल का योगदान
भाग में भाटा पड़ना
कलकत्ता की ओर
घासीराम बने डॉ. घासीराम
राह में भगवान मिले
डॉ. घासीराम की समस्या
अमेरिका से बुलावा
अमेरिका जाने बाबत प्रंबध
अमेरिका के लिए प्रस्थान
पत्नी रूकमणी की परेशानी
परिवार
बढ़ते कदम
स्वदेश आगमन
प्रतिभा को सलाम
पैसा बना फिर संकट
अमेरिका की धरा पर परिवार
ग्रीन कार्ड की प्राप्ति
परिवार की प्रगति
गर्मियों का सदुपयोग
काम ही पूजा
जनसेवा की प्रेरणा
अमरता की ओर
प्रकाशित साहित्य
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