पत्नी रूकमणी की परेशानी

अमेरिका जाने के बाद घासीराम वर्मा की सहधर्मिणी रूकमणी के लिए समय बड़ा दुविधा मय हो गया। आस-पास का माहौल अनपढ़ रूकमणी को गौरी मेमों के जादू का भय दिखाता और घासीराम के वापिस न आने की संभावना व्यक्त करता। वह क्या करती ? अमेरिका से आया ससुराल में पत्र रूकमणी छिपकर सुनती। ऊहापोह की स्थिति में रहती लेकिन मन से उसे अपने भाग्य और अपने जीवन साथी पर भरोसा था।

बस वह भरोसा ही था कि घासीराम आज भी श्रीमती रूकमणी देवी के प्रति समर्पित हैं। हां, फर्क इतना अवश्‍य कि अब श्रीमती रूकमणी देवी घासीराम के साथ अमेरिका रहती हैं और हिन्दी, अंग्रेजी को समझ लेती हैं व पढ़ लेती हैं। उनके पति घासीराम सिर्फ उनके हैं।