छात्रवृत्ति के रूप मे वरदान

घासीराम के जीवन में छात्रवृत्तियों का बड़ा योगदान रहा है। हर कदम पर उनको छात्रवृत्तियां मिलती गई, और वे आगे बढ़ते गए। छात्रवृत्तियां उनके जीवन में वरदान बनकर आई। इसी संकट के अवसर पर भी सहपाठी संपतराम (आगे चलकर राजस्थान सरकार में मंत्री रहे) की सलाह पर राजस्थान सरकार से आर्थिक सहायता चाहने का आवेदन करा। भाग्य से २०० रूपये का चैक मिला।
घासीराम ने सबसे पहले अपने गुड़गांव वाले शुभचिंतकों का अहसान चुकाया। शेष बचे १०० रूपये मित्र गंगाप्रसाद शारदा के भ्रमण की आवश्‍यकता की पूर्ति में सहायक बने।