भाग में भाटा पड़ना

घासीराम आर्थिक संकटों से उबरे ही थे कि रिसर्च प्रोफेसर सेन साहब पिलानी छोड़कर कलकत्ता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हो गए। घासीराम के लिए यह समाचार भाग में भाटा पड़ने जैसा था।
क्या करे ?
पिलानी छोड़ने का निर्णय वह कैसे करें ?
कलकत्ता जाए तो कैसे ?
आखिर घासीराम ने मित्रा साहब से निवेदन कर पिलानी में ही अध्यापन के साथ-साथ रिसर्च तैयारी की व्यवस्था पूर्ववत जची रहने में सफलता अर्जित की।